Revolutionary Road | Dreams, Life & Them
फ़िल्म को देख मन में कितनी ही बार यह सवाल आता है कि क्या सच में हमारे खालीपन और निराशा से भागा जा सकता है? और अगर हम भाग भी लेते हैं तो जहाँ ठहरेंगे वहाँ खालीपन और निराशा नहीं होगी यह बात कितनी निश्चितता से कही जा सकती है। यह सब सोचते हुए मानव कौल की लिखी एक बात भीतर कहीं गूँजने लगती है “किसी के चुनते ही जो नहीं चुना वह दिमाग में रह जाता है और जो चुन लिया वह हमारे थके हुए जीवन का हिस्सा बन जाता है।”