Bhonsle | मेरे लिए क्या है!
चारों तरफ गूँजता नफ़रत का शोर, उस शोर के नशे में डूब चुके लोग और इन सब के बीच मौन बैठी एक बूढ़ी जर्जर होती देह जो सूनी आँखों से यह सब देख रही है। वो भोंसले है, परंतु भोंसले कौन है? मेरे लिए तो भोंसले जवान होती नफ़रत और हिंसा के बीच बूढ़ी होती हमारी मनुष्यता है, हमारी आत्मा है। जिससे हम आँखें नहीं मिला पाते हैं, जिसकी आँखों में देख मानो हम खुद की मर चुकी आत्मा को आईने में देख लेते हैं।